हमारे देश में अंग्रेज़ों का प्रभाव हमें काफी जगह देखने को मिलता है। अंग्रेज भारत में व्यापार के उद्देश्य से आये थे। उस समय भारत में राजशाही बिखरी हुई थी और सभी राजा अपने साम्राज्य के विस्तार में लगे हुए थे। इन कारणों का फायदा उठाकर अंग्रेजों ने सभी राज्यों में फूट डाल दी और उन्हें आपस में लड़ा दिया। भारत के कुछ लोगों ने भी उनका साथ दिया और अपने ही देश के साथ गद्दारी की। धीरे धीरे अंग्रेज़ो ने पुरे भारत पर कब्ज़ा कर लिया और मनमाने ढंग से शासन किया।
अंग्रेज़ो के भारत से चले जाने के बाद, उनके प्रभाव ने भारत को बहुत गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने भारत पर क्या प्रभाव डाले और उससे भारत के लोगों को क्या फायदा या नुकसान हुआ, इस प्रसंग में हम इस पर चर्चा करेंगे :
धन की लूट

अंग्रेज़ो ने भारत को लगभग 200 सालों तक अपना औपनिवेश बना कर रखा। इस समय उन्होंने भारत की सम्पत्ति का दोहन किया और इंग्लैंड ले गए। कहा जाता है की भारत में इतना धन था की इसे सोने की चिड़िया का दर्ज़ा मिला था, पर ये दर्ज़ा अंग्रेज़ो की वजह से ख़त्म हो गया। हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अंटलांटिक कौंसिल में कहा था कि अंग्रेजों ने भारत से, इंग्लैंड के वर्तमान जीडीपी से 17 गुना धन लूट कर ले गए थे। उन्होंने यह आकड़े जानी मानी अर्थशास्त्री उत्सव पटनायक की इकनोमिक स्टडी के रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर बतया है. कोलम्बिया रिपोर्ट के मुताबिक, अंग्रेज़ो ने 45 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति भारत से लूटकर ले गए थे।
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साहित्यिक चीज़ों की लूट

भारत अपने साहित्यिक और सांस्कृतिक चीज़ो के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। पर यह प्रसिद्धि और ज्यादा होती अगर अंग्रेज़ो ने भारत के धरोहरो को न लूटा होता। औपनिवेशको ने भारत की कई बहुमूलय चीज़ों को ब्रिटेन के संग्रहालय में लूट कर रखा है। इनमे से सबसे ज्यादा लोकप्रिय “कोहिनूर हिरा” है। जो आज इंग्लैंड की रानी के ताज की शोभा बढ़ा रहा है। इतिहास से पता चलता है कि यह हीरा काकतीय वंश के राजा प्रताप रुद्र से संबधित था। एक और मूलयवान चीज़ है “मयुर सिंघासन” जिसका निर्माण शाहजहाँ ने कराया था। इसमें कई बेशकीमती पत्थर और हजारों किलो सोने का प्रयोग किया गया था। अब ये सिंघासन अंगेज़ों के म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहा है।
सांस्कृतिक प्रभाव

भारत की अपनी एक अलग सभ्य और सुंदर संस्कृति है। पर अब यह संकृति धूमिल होती जा रही है। भारतीय लोग अब ज्यादातर यूरोपियन वेशभूसा और कल्चर की और आकर्षित हो रहे है। इसके पीछे का कारण हम, भारतीय संस्कृति का कठिन नियम होना कह सकते है। हमारी भारतीय संस्कृति में महिलाओं को ज्यादा आज़ादी नहीं मिलता। पुरुषों के लिए भी नियम है पर महिलाओं जैसा कठिन नहीं है।
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हमरे इतिहास को जटिल बनाया

हमारा इतिहास शुरू से ही काफी जटिल रहा है। कई राजाओं ने यहाँ शासन किया, कई वंश आये गए। सबने अपना विस्तार किया और उनके धरोहर, और शहरों का निर्माण कराया। “अशोक’ जैसे महान शासक भी हुए और “मुहम्मद बिन तुगलक” जैसे पागल बादशाह भी। सिंधु घाटी जैसी प्राचीन सभ्यता यहाँ पनपी और फली फूली। जब हमारा इतिहास लिखा जा रहा था तब कई अंग्रेज़ो ने इसमें अपनी भागीदारी पेश की। और कुछ विद्वानों ने अपने तरीको से हमारे इतिहास को लिखा और उसे और जटिल बना कर चले गये। और उन्होंने कई कहानियो को भी बदल दिया। जैसे रक्षाबंधन के त्योहार मनाने के पीछे के प्रसंग को अगर हम देखे तो हमें “हुमायु” और “कर्णावती” की कहनी सामने आती है। परन्तु रक्षाबंधन मानाने के पीछे ये कारण नहीं बल्कि देवता “इंद्रा” और “इन्द्राणी” की कहानी से प्रेरित है।
शिक्षा के क्षेत्र में प्रभाव

हमारी प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में मुख्या “गुरुकुल व्यवस्था” थी। इसमें विद्यार्थी अपने घर से दूर गुरु के घर में निवास करते थे और वही शिक्षा प्राप्त करते थे। उस समय विद्यार्थियों को वेद, पुराण और उपनिषदों की शिक्षा दी जाती थी। उसमे विज्ञान और गणित भी शामिल थे। अंग्रेज़ो ने इस पद्धति को हटाकर स्कूल पद्धति को भारत में स्थापित किया और विद्यार्थियों को अंग्रेज़ो के तरीके से पढ़ाना शुरू किया जो आज तक चली आ रही है।
भारत का विभाजन

अंग्रेज़ो ने लगभग पूरी दुनिया पर शासन किया, और जहां जहां उन्होंने शासन किया वहां के सांस्कृतिक को तो प्रभावित किया ही किया उसके साथ भोगोलिक क्षेत्र को भी बदल दिया। प्राचीन भारत की सीमा अफ़ग़ानिस्तान से लेकर म्यांमार तक थी। जिनको अंग्रेज़ो ने जाते जाते तोड़कर अलग अलग देश का निर्माण कर दिया। अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, म्यांमार और बांग्लादेश को भारत से अलग कर दिया, और पाकिस्तान से आपसी झगड़ों का बीज बो कर भी चले गये। अंग्रेज़ो ने जाते जाते भी भारत के आंतरिक हिस्सों पर भी फूट डालने की कोशिश करी।
आज़ादी के बाद भारत में 562 रियासत थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल और वी पी मेनन ने सारे रियासतों को भारत में शामिल कर लिया। बात फ़ासी थी 3 रियासतों में: हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर। पर हैदराबाद और जूनागढ़ में सरदार पटेल और वी पी मेनन ने इन्हे भारत में शामिल कर लिया। पर कश्मीर का मुद्दा अभी भी फसा हुआ है, जो की UNO के कार्यालय की फाइलों में पड़ी धूल चाट रही है।

