Scientific and Cultural Importance of Makar Sankranti
विज्ञान से लेकर धर्म तक, मकर संक्रान्ति हर मायने में महत्वपूर्ण है| हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक त्योहार है मकर संक्रांति| सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व तरह-तरह के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व। मकर संक्रान्ति के दिन किसान अपनी अच्छी फसल के लिये भगवान को धन्यवाद देकर अपनी अनुकम्पा को सदैव लोगों पर बनाये रखने का आशीर्वाद माँगते हैं। इसलिए मकर संक्रान्ति के त्यौहार को फसलों एवं किसानों के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है।
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सांस्कृतिक महत्व – इस एक त्यौहार को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है | State wise names of Makar Sankranti
भारत में इस पर्व को विभिन्न नामों से जाना जाता है। छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक में सुग्गी हब्बा, केरल में इसे ओणम , मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू में इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
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तमिलनाडु में ताइ पोंगल, गुजरात व उत्तराखंड में उत्तरायण, हरयाणा व हिमाचल प्रदेश में माघी , असम में भोगाली बिहु, कश्मीर घाटी में शिशुर सेंक्रात, उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में खिचड़ी, पश्चिम बंगाल में पौष संक्रान्ति, कर्नाटक में मकर संक्रमण और पंजाब में इसे लोहड़ी कहते हैं।
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मकर संक्रांति का यह त्योहार भारत के साथ अन्य कई देशों में भी मनाया जाता है । हर देश में इस पर्व को अलग नाम से जाना जाता है। बांग्लादेश में इसे पौष संक्रान्ति कहते है। नेपाल में माघी संक्रांति , थाईलैंड में सोंगकरन, इत्यादि।
वैज्ञानिक महत्व – मकर संक्रांति कब मनाते है ? | Why and when do celebrate Makar Sankranti
मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। हिन्दू पंचांग और धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्य का मकर राशी में प्रवेश 14 जनवरी की शाम को होता हैं। शास्त्रों के अनुसार रात में संक्रांति नहीं मनाते तो अगले दिन सूर्योदय के बाद ही उत्सव मनाया जाना चाहिए। इसलिए मकर संक्रांति 14 की जगह 15 जनवरी को मनाई जाने लगी है।
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भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। इसलिए इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी। ऐसा जानकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है।
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मकर संक्रान्ति का महत्व शास्त्रों के अनुसार | Mythological Significance of Makar Sankanrti
शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है।
मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व | Historical Significance of Makar Sankranti
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
मकर संक्रान्ति का एक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
-वैज्ञानिकों के अनुसार मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन क्रिया होती है। इससे तमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं। इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है।
-मकर संक्रांति के समय उत्तर भारत में ठंड का मौसम रहता है। इस मौसम में तिल-गुड़ का सेवन सेहत के लिए लाभदायक रहता है यह चिकित्सा विज्ञान भी कहता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह ऊर्जा सर्दी में शरीर की रक्षा करती है।
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-इस दिन खिचड़ी का सेवन करने का भी वैज्ञानिक कारण है। खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है। अदरक और मटर मिलाकर खिचड़ी बनाने पर यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।
-हैप्पी मकर संक्रांति-
Sanchi-Kashyap
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