नर्मदा भारत के मध्यभाग में पूरब से पश्चिम की ओर बहने वाली मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य की एक प्रमुख नदी है, जो गंगा के समान पूजनीय है। महाकाल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। नर्मदा सर्वत्र पुण्यमयी नदी बताई गई है तथा इसके उद्भव से लेकर संगम तक दस करोड़ तीर्थ हैं और गोदावरी नदी भारत की प्रसिद्ध नदी है। यह नदी दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट से लेकर पूर्वी घाट तक प्रवाहित होती है। नदी की लंबाई लगभग 900 मील (लगभग 1440 किमी) है। यह नदी नासिक त्रयंबक गाँव की पृष्ठवर्ती पहाड़ियों में स्थित एक बड़े जलागार से निकलती है।
नर्मदा नदी
मैकाल से निकलने के कारण नर्मदा को मैकाल कन्या भी कहते हैं। स्कंद पुराण में इस नदी का वर्णन रेवा खंड के अंतर्गत किया गया है। कालिदास के ‘मेघदूतम्’ में नर्मदा को रेवा का संबोधन मिला है, जिसका अर्थ है- पहाड़ी चट्टानों से कूदने वाली। नर्मदा का उद्गम विंध्याचल की मैकाल पहाड़ी श्रृंखला में अमरकंटक नामक स्थान में है।
नर्मदा नदी का उद्गम स्थल
वास्तव में नर्मदा की तेजधारा पहाड़ी चट्टानों पर और भेड़ाघाट में संगमरमर की चट्टानों के ऊपर से उछलती हुई बहती है। अमरकंटक में सुंदर सरोवर में स्थित शिवलिंग से निकलने वाली इस पावन धारा को रुद्र कन्पा भी कहते हैं, जो आगे चलकर नर्मदा नदी का विशाल रूप धारण कर लेती हैं। पवित्र नदी नर्मदा के तट पर अनेक तीर्थ हैं, जहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इनमें कपिलधारा, शुक्लतीर्थ, मांधाता, भेड़ाघाट, शूलपाणि, भड़ौच उल्लेखनीय हैं।
नर्मदा नदी की अन्य जानकारियां
इसकी लम्बाई प्राय: 1310 किलोमीटर है। यह नदी पश्चिम की तरफ जाकर खम्बात की खाड़ी में गिरती है। इस नदी के किनारे बसा शहर जबलपुर उल्लेखनीय है। इस नदी के मुहाने पर डेल्टा नहीं है। जबलपुर के निकट भेड़ाघाट का नर्मदा जलप्रपात काफ़ी प्रसिद्ध है। वेदों में नर्मदा का कोई उल्लेख नहीं है। गंगा के उपरान्त भारत की अत्यन्त पुनीत नदियों में नर्मदा एवं गोदावरी के नाम आते हैं। रेवा नर्मदा का दूसरा नाम है और यह सम्भव है कि रेवा’ से ही रेवोत्तरस’ नाम पड़ा हो।
अमरकंटक की पहाड़ियों से निकल कर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर नर्मदा करीब 1310 किमी. का प्रवाह पथ तय कर भरौंच के आगे खंभात को खाड़ी में विलीन हो जाती है। परंपरा के अनुसार नर्मदा की परिक्रमा का प्रावधान हैं, जिससे श्रद्धालुओं को पुण्य की प्राप्ति होती है। पुराणों में बताया गया है कि नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से समस्त पापों का नाश होता है।
गोदावरी नदी
यह नदी दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट से लेकर पूर्वी घाट तक प्रवाहित होती है। इसे दक्षिण भारत की बूढ़ी गंगा के नाम से जाना जाता हैI यह प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी हैI मुख्य रूप से नदी का बहाव दक्षिण-पूर्व की ओर है। ऊपरी हिस्से में नदी की चौड़ाई एक से दो मील तक है, जिसके बीच-बीच में बालू की भित्तिकाए हैं। समुद्र में मिलने से 60 मील (लगभग 96 कि.मी) पहले ही नदी बहुत ही सकेरी उच्च दीवारों के बीच से बहती है।
बंगाल की खाड़ी में दौलेश्वरम् के पास डेल्टा बनाती हुई यह नदी सात धाराओं के रूप में समुद्र में गिरती है। भारत की प्रायद्वीपीय नदियाँ- गोदावरी और कृष्णा, ये दोनों मिलकर कृष्णा-गोदावरी डेल्टा का निर्माण करती हैं, जो सुन्दरवन के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा डेल्टा है। इस डेल्टा को बहुधा केजी डेल्टा भी कहा जाता है।
गोदावरी की सात शाखाए मानी गई है:
गौतमी, वसिष्ठा, कौशिकी, आत्रेपी, वृद्ध गौतमी, तुल्या, भारद्वाजी
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