बसंत पंचमी का त्यौहार उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा का विधान है। बसंत पंचमी का त्यौहार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है और बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु (Spring Season) की शुरुआत होती है।
सरस्वती हिन्दू धर्म की प्रमुख वैदिक एवं पौराणिक देवियों में से एक हैं। क्यों होती है बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा? इसके पीछे एक पौराणिक कथा है।
जब ब्रह्मा जी ने भगवान श्री विष्णु की स्तुति की
पौराणिक कथाओं के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में पितामह ब्रह्मा ने अपने संकल्प से ब्रह्मांड की तथा उनमें सभी प्रकार के पेड़-पौधे, पशु-पक्षी मनुष्य आदि की रचना की। लेकिन अपनी रचना से वे संतुष्ट नहीं थे, उन्हें लगता था कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है, हर तरफ एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी, तब ब्रह्मा जी ने इस समस्या के निवारण के लिए अपने कमण्डल से जल अपने अंजली में लेकर संकल्प स्वरूप उस जल को छिड़कर भगवान श्री विष्णु की स्तुति करनी आरम्भ की। Know more about ब्रह्मा जी
मूलप्रकृति आदिशक्ति ने एक प्रचंड तेज उत्पन्न किया जो एक दिव्य नारी के स्वरूप बदल गया।
ब्रम्हा जी के किए स्तुति को सुन कर भगवान विष्णु तत्काल ही उनके सामने प्रकट हो गए और उनकी समस्या जानकर भगवान विष्णु ने मूलप्रकृति आदिशक्ति माता का आव्हान किया। विष्णु जी के द्वारा आव्हान होने के कारण मूलप्रकृति आदिशक्ति वहां तुरंत ही ज्योति पुंज रूप में प्रकट हो गयीं तब ब्रम्हा एवं विष्णु जी ने उन्हें इस संकट को दूर करने का निवेदन किया। ब्रम्हा जी तथा विष्णु जी बातों को सुनने के बाद उसी क्षण मूलप्रकृति आदिशक्ति ने एक प्रचंड तेज उत्पन्न किया जो एक दिव्य नारी के स्वरूप बदल गया। जिनके हाथो में वीणा थी तथा वे सफ़ेद कमल पर विराजित थी।
मूल प्रकृति आदिशक्ति के शरीर से उत्पन्न तेज से प्रकट होते ही उस देवी ने वीणा का मधुरनाद किया जिससे समस्त राग रागिनिया संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब सभी देवताओं के द्वारा शब्द और रस का संचार कर देने वाली उन देवी को ब्रह्म ज्ञान विद्या वाणी संगीत कला की अधिष्ठात्री देवी “सरस्वती” कहा गया और तब से हर वसन्त पंचमी के दिन समस्त संसार में देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाने लगी।
मां सरस्वती की आराधना देवता और असुर दोनों ही करते हैं। इस दिन घरों में, स्कूल और कॉलेजों में मां की प्रतिमा की स्थापना की जाती है । लोग इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं। बसंत पंचमी के दिन पेन, कॉपी, किताब की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से देवी सरस्वती खुश होती हैं और भक्तों को वरदान प्रदान करती हैं।
भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा
वसंत पंचमी को देवी सरस्वती के अलावा भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा का विधान भी बताया गया है। भगवान विष्णु ने माघ माह की पंचमी तिथि को सृष्टि में ऊर्जा का संचार किया था। जबकि, कामदेव ने वसंत पंचमी के दिन पत्नी रति के साथ पृथ्वी भ्रमण कर लोगों में प्रेम की भावना को विकसित किया था। मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती, भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा करने से ज्ञान, ऊर्जा और प्रेम का वास होता है।
By Sanchi Kashyap
2 thoughts on “क्यों होती है बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा ? | Sarswati Puja in Spring Season”
Comments are closed.