यमुना भारत की बड़ी नदियों में से एक नदी है। यह गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो यमुनोत्री नामक जगह से निकलती है और प्रयाग (प्रयागराज) में गंगा से मिल जाती है।इसकी प्रमुख सहायक नदियों में चम्बल, सेंगर, छोटी सिन्धु, बेतवा और केन उल्लेखनीय हैं। यमुना के तटवर्ती नगरों में दिल्ली और आगरा के अतिरिक्त इटावा, कालपी, हमीरपुर और प्रयाग मुख्य है। प्रयाग में यमुना एक विशाल नदी के रूप में प्रस्तुत होती है और वहाँ के प्रसिद्ध ऐतिहासिक किले के नीचे गंगा में मिल जाती है। ब्रज की संस्कृति में यमुना का महत्वपूर्ण स्थान है।
ब्रजभाषा के भक्त कवियों और विशेषतः वल्लभ सम्प्रदायी कवियों ने गिरिराज गोवर्धन की भाँति यमुना के प्रति भी अतिशय श्रद्धा व्यक्त की है। इस सम्प्रदाय का शायद ही कोई कवि हो, जिसने अपनी यमुना के प्रति अपनी काव्य श्रद्धांजलि अर्पित न की हो। उनका यमुना स्तुति संबंधी साहित्य व्रजभाषा भक्ति काव्य का एक उल्लेखनीय अंग है। यमुना को कालिंदजा अथवा कालिंदी भी कहा जाता है। यमुना भारत की प्रमुख तथा पवित्र नदियों में से एक है।
यमुना की सहायक नदियाँ
टॉस, हिंडन, शारदा, कुता, गिरि, ऋषिगंगा, हनुमान गंगा ये नदियाँ यमुना की उपनदियाँ हैं जो बाएं ओर से यमुना को सहायता करती है तथा चम्बल, बेतवा, केन, सिंध ये नदियाँ दाए से यमुना की सहायता करती है। यमुना दिल्ली, मथुरा, आगरा, इटावा, कालपी, प्रयागराज जैसे मुख्य शहरों से होकर गुजरती है। इसका उद्गम स्थान यमुनोत्री उत्तराखण्ड में उत्तरकाशी जिला के बन्दरपूछ चोटी में है।
इसकी प्रमुख सहायक नदियों में चम्बल, सेंगर, छोटी सिन्धु, बेतवा और केन उल्लेखनीय हैं। यमुना के तटवर्ती नगरों में दिल्ली और आगरा के अतिरिक्त इटावा, कालपी, हमीरपुर और प्रयाग मुख्य है। प्रयाग में यमुना एक विशाल नदी के रूप में प्रस्तुत होती है और वहाँ के प्रसिद्ध ऐतिहासिक किले के नीचे गंगा में मिल जाती है। ब्रज की संस्कृति में यमुना का महत्वपूर्ण स्थान है।
यमुना का उद्गम स्थल
यमुनोत्तरी से निकलकर यह नदी अनेक पहाड़ी दरों और घाटियों में प्रवाहित होती हुई तथा वदियर, कमलाद, वदरी अस्लौर जैसी छोटी और तोंस जैसी बड़ी पहाड़ी नदियों को अपने अंचल में समेटती हुई आगे बढ़ती है। उसके बाद यह हिमालय को छोड़ कर दून की घाटी में प्रवेश करती है। वहाँ से कई मील तक दक्षिण-पश्चिम की और बहती हुई तथा गिरि, सिरमौर और आशा नामक छोटी नदियों को अपनी गोद में लेती हुई यह अपने उद्गम से लगभग 15 मील दूर वर्तमान सहारनपुर जिला के फैजाबाद ग्राम के समीप मैदान में आती है। उस समय इसके तट तक की ऊंचाई समुद्र सतह से लगभग 1276 फीट रह जाती है। इसका मुहाना त्रिवेणी संगम में हैं जो प्रयागराज में है। जिसकी ऊंचाई 98 मी. (322 फीट) है।
इसकी ऊंचाई 3,293 मीटर (10,804 फीट) है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिम मडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत 20,731 फीट ऊंचाई) से प्रकट होती है। वहाँ इसके दर्शनार्थ हजारों श्रद्धालु यात्री प्रतिवर्ष भारत वर्ष के कोने कोने से पहुंचते हैं।
पवित्र नदी यमुना
भारतवर्ष की सर्वाधिक पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना की गणना गंगा के साथ की जाती है। यमुना और गंगा के दोआब की पुण्यभूमि में ही आर्यों की पुरातन संस्कृति का गौरवशाली रूप बन सका था। ब्रजमंडल की तो यमुना एक मात्र महत्वपूर्ण नदी है। जहाँ तक व्रज संस्कृति का सम्बंध है, यमुना को केवल नदी कहना ही पर्याप्त नहीं है। वस्तुतः यह ब्रज संस्कृति की सहायक, इसकी दीर्घ कालीन परम्परा की प्रेरक और यहाँ की धार्मिक भावना का प्रमुख आधार रही है।
पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार यह देम में यमुना जी के एक हजार नामों से उसकी प्रशस्ति का गायन किया गया है। यमुना के परमभक्त इसका दैनिक रूप से प्रतिदिन पाठ करते हैं।
क्यों कहा जाता है यमुना नदी को खुला नाला ?
यमुना नदी को खुला नाला भी कहा जात है, क्यूंकि इसकी गंदगी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैI इस नदी की किनारे बसी दिल्ली शहर इसका मुख्या कारण हैI आगरा, मथुरा क्षेत्र की सारी गंदगी इसी नदी में बहती हैI उत्तर प्रदेश का मशहूर इंडस्ट्रियल क्षेत्र नॉएडा इसी नदी के किनारे बसी है, जिसका सारा इंडस्ट्रियल वेस्ट इसी नदी में बहते देखा जाता हैI इन्ही इंडस्ट्रियल वेस्ट से इसका जल वर्तमान समय म जहर के सामान हो गया हैI
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